पूर्ति-14: स्तन कैन्सर के लिए कीमोथेरेपी की सम्पूर्ण जानकारी

कीमोथेरेपी का नाम सुनते ही मन में घबराहट और दुविधा की मिलीजुली भावनाएँ मन में आने लगती हैं। आप नहीं जानती कि आपके साथ क्या होने वाला है और क्या होने की उम्मीद की जा सकती है और यह सब कुछ बहुत परेशान करने वाला हो सकता है। इस लेख में, हमने उन सभी शब्दों को जो आप अपनी कीमोथेरेपी के उपचार के दौरान सुन सकती हैं, उपचार और उनके प्रकार व प्रक्रिया व होने वाले साइड इफ़ेक्ट्स आदि को शामिल करने का प्रयास किया है।

यदि आप साइड इफ़ेक्ट्स को लेकर अधिक परेशान हैं तब हम आपको इस बात का आश्वासन देते हैं कि अधिकतर साइड इफ़ेक्ट्स को नियंत्रित किया जा सकता है और वे भी उपचार की प्रक्रिया के समाप्त होने के साथ ही कुछ समय बाद अपने आप चले भी जाते हैं। केवल कुछ ही साइड इफ़ेक्ट्स ऐसे होते हैं जो थोड़े अधिक समय यानि कुछ महीने या वर्षों तक रह सकते हैं। इस समय बस आप अपने रोज की दिनचर्या को धैर्य और शांत मन से करते रहें और इन साइड इफ़ेक्ट्स के कम होने का इंतज़ार करें ।

कीमोथेरेपी का अर्थ

कीमोथेरेपी का अर्थ शरीर में बढ़ रहे कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए कैंसर-रोधी दवाइयों का इस्तेमाल करने से होता है।

कीमोथेरेपी कैसे काम करती है

सामान्य रूप से शरीर में सेल्स या कोशिकाओं का बढ़ना, विभाजित होना और फिर खत्म हो जाना एक नियंत्रित रूप में होता है। लेकिन जब यह प्रक्रिया अनियंत्रित रूप में होने लगती है तब इससे सामान्य सेल्स या कोशिकाओं की वृद्धि और कार्यों पर बुरा असर पड़ता है।
इस स्थिति में कीमोथेरेपी दवाइयाँ इन सेल्स के बढ़ने से रोक देती हैं। आमतौर पर, विभिन्न प्रकार की दवाइयों का प्रयोग कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने के लिए अलग-अलग समय पर किया जाता है।
कीमोथेरेपी का असर पूरे शरीर की कोशिकाओं पर होता है।

शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर के लिए कीमोथेरेपी

जब कैंसर ब्रेस्ट टिश्यू और बगलों के नीचे वाले लिम्फ़ नोड्स से आगे नहीं बढ़ता है तब इसे शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर माना जाता है। आमतौर पर स्तनोच्छेदन के बाद कीमोथेरेपी की जाती है। रेडियोथेरेपी भी इसके साथ ही की जा सकती है।

● कीमोथेरेपी सर्जरी से पहले दी जा सकती है जिससे तेजी से बढ़ते कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोका जा सके और उन्हें शरीर के दूसरे भागों में फैलने से रोका जा सके।
जिन लोगों को ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (तेजी से बढ़ता कैंसर), सूजन वाले ब्रेस्ट कैंसर या HER2 पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर होता है उन्हें सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दिए जाने की संभावना होती है

शरीर में पुनः कैंसर सेल्स को बढ़ने की संभावना को कम करने के लिए सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी भी दी जा सकती है। सर्जरी के बाद इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी को सहायक कीमोथेरेपी कहा जाता है।

कीमोथेरेपी की आवश्यकता और लाभ

आपको कीमोथेरेपी की जरूरत है या नहीं यह आपको कैंसर के लेवल (आपके कैंसर सेल्स सामान्य ब्रेस्ट सेल्स से कितने अलग हैं और कितनी जल्दी कैंसर सेल्स बढ़ रहे हैं) के आधार पर लिया जाता है। इसके अलावा आपकी हेल्थ संबंधी शेष स्थिति भी ध्यान में रखी जाती है।

निम्न प्रकार के पैथोलोजिकल टेस्ट भी करवाए जाते हैं जिससे आपके कैंसर विशेषज्ञ इस बात का अंदाज़ा लगा पाते हैं कि आपको कीमोथेरेपी से क्या फायदा हो सकता है:
जीनोमिक असेस (इसे जीन एक्सप्रेशन प्रोफाइलिंग या जीन असेस भी कहा जाता है): इस टेस्ट में ब्रेस्ट कैंसर में पाये जाने वाले जींस के समूहों को जाँचते हैं। यह टेस्ट सर्जरी के दौरान निकाले गए ब्रेस्ट टिश्यू पर किए जाते हैं। यह टेस्ट सबके लिए सही नहीं होते हैं।

ऑन्कोटाइप डीएक्स: यह टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर के दोबारा होना की संभावना का पता लगाता है। ब्रेस्ट में कैंसर के दोबारा होने की संभावना के आधार पर ही कीमोथेरेपी का सुझाव दिया जाता है। यदि यह संभावना काफी अधिक हो तभी कीमोथेरेपी का सुझाव दिया जाता है।

एंडोप्रिडिक्ट / प्रोसिग्ना ब्रैस्ट कैंसर प्रोग्नॉस्टिक जीन सिग्नेचर एसे: यह टेस्ट 10 वर्षों के भीतर फैलने वाले ब्रेस्ट कैंसर की संभावना का पता लगाता है। इसके परिणाम के आधार पर ही अधिक या कम जोखिम को निर्न्धारित किया जा सकता है।

जिन लोगों को दूसरे लेवल का ब्रेस्ट कैंसर होता है उन्हें भी कीमोथेरेपी दी जा सकती है। दूसरे लेवल के ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ने से रोकने या कम करने के लिए भी किमोथेर्पी का इस्तेमाल किया जा सकता है। आपके कैंसर विशेषज्ञ कीमोथेरेपी के साथ दूसरे अन्य दवाइयाँ जैसे टार्गेटिड थेरेपी या होर्मोन थेरेपी भी दे सकते हैं।
रेडियोथेरेपी आमतौर पर कीमोथेरेपी के बाद दी जाती है।

कीमोथेरेपी चक्र

आमतौर पर कीमोथेरेपी एक श्रंखलाबद्ध उपचार के रूप में दी जाती है जिसमें हर उपचार के बाद थोड़ा समय अंतराल रखा जाता है जिससे आपके शरीर को थोड़े समय के लिए होने वाले साइड इफ़ेक्ट्स से उबरने का समय मिल जाये। कीमोथेरेपी को हफ्ते या पंद्रह दिन के आधार पर दी जा सकती है।
कीमोथेरेपी में दी जाने वाली दवाओं को आपके कैंसर की प्रकृति के अनुसार बनाया जाता है। इससे भी आपके द्वारा लिए जाने वाले चक्रों का निर्धारन होता है।

कीमोथेरेपी के तीव्र रूप जिसे डोज़ डेन्स कीमोथेरेपी कहा जाता है का अभी परीक्षण चल रहा है। इस उपचार में दवाइयों की वही डोज़ थोड़े कम समय के अंतर पर दी जा सकती है।

कीमोथेरेपी का कामरा

कीमोथेरेपी को शुरू करने से पहले अधिकतर हॉस्पिटल कीमोथेरेपी सत्र संबंधी सारी जानकारी उपलबद्ध करवाते हैं जहां आपको बताया जाएगा कि कब और कैसे आपको कीमोथेरेपी दी जाएगी और कैसे आपको इसे सहन करना होगा।

साधारण रूप में कीमोथेरेपी एक लिखित स्वीकृति पत्र के बाद ही दी जाती है। इसमें समय-समय पर ब्लड टेस्ट किए जाते हैं जिससे यह पता लग सके कि क्या आपके रेड ब्लड सेल्स एक निर्धारित लेवल से नीचे तो नहीं हो गए हैं। अगर ऐसा होता है तब कीमोथेरेपी की प्रक्रिया को थोड़े समय के लिए रोका जा सकता है।
दवाइयाँ आमतौर पर कीमोथेरेपी के कमरे में, कैंसर विशेषयज्ञ की उपस्थिती में ही दी जाती हैं। इसके लिए आपको एक कुर्सी पर आराम से बैठा दिया जाता है जहां फिर आपको दवा दी जाती है।

कीमोथेरेपी

: कीमोथेरेपी को देने के तरीके इस प्रकार हैं:
नसों के माध्यम से
कैनुला : कीमोथेरेपी को देने का सबसे अधिक प्रचलित रूप एक छोटी सुई और एक प्लास्टिक ट्यूब जिसे कैनुला है जो या तो हाथों के पीछे की ओर या फिर हाथ के नीचे वाले भाग में नसों के अंदर लगाया जाता है। दवा देने के बाद सुई को निकाल कर ट्यूब को वहीं छोड़ दिया जाता है। इसके बाद घुली हुई दावा धीरे-धीरे नसों के अंदर जाने लगती है।
हर सत्र के बाद एक नया कैनुला लगाया जाता है। कीमोथेरेपी उसके विपरीत दिशा में दी जाती है जहां सर्जरी की जाती है।

स्किन-ट्यूननल्ड कैथेटर: यह एक प्रकार की पतली सिलिकोन ट्यूब होती है जिसे छाती में एक छोटे से कट के बाद नस में लगाया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए आपको हल्का बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है। इस कैथेटर को हिकमैन या ग्रोशोंहाँग लाइन भी कहा जाता है जो इसी स्थान पर कुछ महीनों तक रखी जाती है। इसमें थोड़े समय के बाद ब्लड सैंपल भी लिए जाते हैं।

ऊपरी तौर पर लगाया सेंट्रल कैथेटर (PICC): एक PICC आपकी बांह में या कोहनी के घुमाव के ऊपर, एक नस में डाली जाती है जो आपके दिल की ओर जाने वाली बड़ी नस में जाकर फैल जाती है। इसे लोकल एनेस्थेशिया के अंतर्गत जब तक उपचार पूरा नहीं हो जाता है, तब तक इसी अवस्था में ही रखा जाता है

पिक्क को एक ड्रेसिंग (पट्टी) के सहारे रखा जाता है और आपकी नर्स इस बारे में आपकी मदद कर सकती है कि आपको इसकी देखभाल कैसे करनी है।

इंप्लांट पोर्ट : इंप्लांट पोर्ट एक प्रकार का उपकरण होता है जो एक पतली ट्यूब (कैथेटर) के साथ जोड़कर स्किन , सामान्य रूप में छाती या बांह के अंदर, रखा जाता है। इस ट्यूब का दूसरा सिरा हृदय के पास एक बड़ी नस में लगाया जाता है। कीमोथेरेपी दवाओं को सीधे ही पोर्ट में एक विशेष सुई से छेद करके दिया जाता है।

द्वाएँ देने के बाद पोर्ट को हटा दिया जाता है। इसे हटाने के बाद आपके घाव की पट्टी की जाती है और आपको नर्स फिर आपको बताएगी कि आपको इस घाव की देखभाल कैसे करनी है।

मुंह से : मुंह से दी जाने वाली कीमोथेरेपी की दवा गोलियों या कैप्स्यूल्स के रूप में होती हैं। इन्हें सरलता से घर पर भी लिया जा सकता है, लेकिन पहली डोज़ हॉस्पिटल में ओपीडी पेशेंट के रूप में वहीं पर दी जाती है जहां आपको थोड़ी देर के लिए इसलिए रकहा जाता है जिससे किसी प्रकार के साइड इफ़ेक्ट्स होने पर उसकी सही देखभाल की जा सके।

आपको, अच्छे परिणाम के लिए अस्पताल में जिस प्रकार दवाइयों के सेवन संबंधी निर्देश दिये जाएँ, उनका उसी तरह से पालन करना चाहिए। आपके नियमित रूप से ब्लड टेस्ट किए जाएँगे। यदि आप मुंह में दवा रखने में असमर्थ हैं तब आपको तुरंत कैंसर विशेषज्ञ से संपर्क करके उन्हें इसकी सूचना देनी होगी।

साइड इफ़ेक्ट्स

कीमोथेरेपी के हल्के या विभिन्न प्रकार के साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर कीमोथेरेपी के होने वाले प्रमुख साइड इफ़ेक्ट्स हैं:
• इमम्यूनिटी का कमजोर होने के कारण इन्फेक्शन होने की संभावना का बढ़ जाना
• दवाइयों के लेने के समय शरीर में रक्त की कमी या एनीमिया (लाल रक्त कणों का कम हो जाना) का होना
• कैथेटर/कैनुला लगाने के समय घाव होना या खून निकलना
• चक्कर आना और उल्टी महसूस होना
• सिर के बाल कम होना या झड़ जाना
• मुंह में छाले होना या मुंह का स्वाद बिगड़ जाना
• बहुत ज्यादा थकान का होना जो काफी आराम के बाद भी नहीं जाती है
• मैनोपोज के लक्षण
• हॉट फ्लैश या रात को पसीना आना
आपकी कीमोथेरेपी टिम आपको इन सभी लक्षणों का सामना करने में आपकी सहायता करेगी।

निजी तौर पर मेरा यह मानना है कि अधिकतर महिलाएं बालों का झड़ना और माइनोपौस जैसे लक्षणों का सामना करने लिए पहले ही स्वयं को तैयार रखती हैं।यदि आप बहुत ज्यादा परेशान हो रही हैं तब आप सहायता के लिए किसी काउन्सलर की मदद ले सकती हैं। उपचार हो जाने के बाद आप जब तक आपके बाल वापस न उग आयें तब तक आप विग, स्कार्फ या टोपी पहन सकती हैं। हेल्दी और पौष्टिक डाइट के साथ नियमित व्यायाम इस समय आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर उपचार के दौरान आप किस प्रकार के साइड इफ़ेक्ट्स से गुज़र सकती हैं इस बारे में यदि और अधिक विस्तार से पढ़ना चाहती हैं तो आप www.aarnabiomed.in/poorti-08-side-effects-of-breast-cancer-treatment-hindi.
पर पढ़ सकती हैं।

ऐसे कैंसर सेल्स जो दवा के बाद भी बच गए हैं और दोबारा शरीर में कैंसर का कारण बन सकते हैं उन्हें नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी के बाद रेडिएशन थेरेपी की जाती है।

लेखिका : प्र्त्योशा मजूमदार