पूर्ति- 15: ब्रेस्ट पुनर्रचना

अधिकतर देखा गया है कि जब ब्रेस्ट कैंसर काफी एडवांस लेवल का होता है तब सर्जरी यानि स्तनोच्छेदन ही एकमात्र उपाय बचता है जिसमें, वह ब्रेस्ट, जो कैंसर सेल्स से या फिर लम्पेक्टोमी के कारण जगह-जगह गांठों के कारण बुरी तरह प्रभावित होती है, तब वह एक या फिर दोनों ब्रेस्ट निकाल दी जातीं हैं। कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के बाद प्रभावित ब्रेस्ट टिश्यू आंशिक रूप से या फिर पूरी तरह से निकाल दिये जाते हैं। कभी-कभी रेडियोथेरेपी के बाद भी कीमोथेरेपी की जा सकती है। सर्जरी के बाद, कुछ समय तक निशान दिखाई देते रहते हैं, लेकिन उसके बाद सूजन भी कम हो जाती है और निशान भी कम होते जाते हैं।

वो महिलाएं जिनके ब्रेस्ट निकाल दी जाती हैं, उनके लिए यह समय बहुत पीड़ादायक हो सकता है। इस कारण उनके आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन को फिर से शुरू करने की इच्छाशक्ति बुरी तरह से प्रभावित होती है। अधिकतर महिलाएं इस समय इस डर से आलिंगन या शारीरिक स्पर्श करने से बचती हैं कि इससे किसी को उनकी ब्रेस्ट के न होने का पता न चल जाये।

इन स्थितियों में, आपके कैंसर-सर्जन आपको ब्रेस्ट-पुनर्रचना के बारे में बता सकते हैं। ब्रेस्ट-पुनर्रचना से ब्रेस्ट के आकार और आकृति को बनाने में मदद मिलती है। लेकिन इसके साथ ही, यह बात ध्यान में रखनी होगी कि ब्रेस्ट-पुनर्रचना केवल ब्रेस्ट के आकार और आकृति को ही दोबारा बना सकती है। इससे आपको ब्रेस्ट टिश्यूस की संवेदनशीलता या एहसास महसूस नहीं होगा । कई बार ब्रेस्ट के सही आकार व प्रारूप को लाने में एक से ज्यादा सर्जरी करनी पड़ सकती हैं।

ब्रेस्ट-पुनर्रचना क्या है

ब्रेस्ट पुनर्रचना का अर्थ सर्जरी के बाद ब्रेस्ट के आकार को दोबारा बनाने से लिया जाता है। यह सर्जरी या तो ब्रेस्ट के पूरी तरह या केवल एक भाग को निकालने के बाद की जा सकती है।

यदि आप सर्जरी के तुरंत बाद ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय लेती हैं, तब यह तुरंत पुनर्रचना की स्थिति मानी जाएगी। यदि आप सर्जरी के बाद पहले कृत्रिम ब्रेस्ट पहनने के बाद बाद में ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय लेती हैं तब इसे देर से पुनर्रचना माना जाएगा।

नयी ब्रेस्ट के आकार के लिए या तो ब्रेस्ट इंप्लांट या फिर आपके शरीर के दूसरे स्वस्थ भाग से टिश्यू लेकर इस्तेमाल किया जाएगा। अंत में उद्देश्य तो केवल आपके ब्रेस्ट के मूल आकार, साइज़ और प्रारूप को बनाने से है लेकिन फिर भी पुरानी और नयी बनी ब्रेस्ट में अंतर तो आ ही सकता है। पुनर्रचना के बाद, यदि आपको दूसरी सर्जरी की जरूरत महसूस होती है तब और वैसे भी आपको नए ब्रेस्ट को थोड़ा समय देना होगा जिससे इस प्रक्रिया में लगे घाव अपने आप ठीक हो सकें और सूजन कम होने पर ब्रेस्ट अपने मूल आकर में वापस आ सकें।

यदि दोनों ब्रेस्ट निकाल दी जाती हैं तब नयी ब्रेस्ट की पुनर्रचना इस प्रकर होती है जिससे वो शरीर के अनुपात के समान हो सकें। यहाँ यह बात ध्यान देने वाली है कि ब्रेस्ट-पुनर्रचना का संबंध कैंसर के दोबारा न आने से कतई नहीं है।

ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय केवल आपका अपना निर्णय है

इस बात को सोचना कि ब्रेस्ट-पुनर्रचना का काम कब करवाना है और क्या आप ब्रेस्ट-पुनर्रचना करवाना चाहती हैं या नहीं, यह निर्णय केवल आपका अपना निर्णय हो सकता है। आप सर्जरी के तुरंत बाद ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय ले सकती हैं या फिर कृत्रिम ब्रेस्ट को पहन सकती हैं या फिर कुछ भी न करके ऐसे ही भी रह सकती हैं।

आपके सर्जन ही वो सही व्यक्ति हो सकते हैं जो आपको ब्रेस्ट-पुनर्रचना के सही विकल्प के बारे में बता सकते हैं। यदि आप सर्जरी के बाद ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय लेती हैं तब इससे जुड़े हेल्थ संबंधी जोखिम के बारे में भी सूचित किया जाएगा। यह भी हो सकता है कि आपको पूरी जिंदगी ब्रेस्ट-पुनर्रचना के बारे में न सोचने की सलाह भी दी जा सकती हैं।

ब्रेस्ट-पुनर्रचना के बारे में किससे बात करनी चाहिए

ब्रेस्ट-पुनर्रचना के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए आपको ब्रेस्ट-कैंसर सर्जन जिसके पास ब्रेस्ट-पुनर्रचना सर्जरी की तकनीक का ज्ञान हो और वह सौंदर्य-सर्जरी का भी ज्ञाता हो, से बात करनी चाहिए। ब्रेस्ट-पुनर्रचना के बारे में विस्तार से बात की जानी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि वो आपको पुनर्रचना प्रक्रिया के बारे में पूरी तरह से बताएँगे और साथ ही यह भी बताएँगे कि पुनर्निरमित ब्रेस्ट वास्तविक रूप में किस प्रकार की दिखाई देगी और आप उसमें किस प्रकार का एहसास कर सकती हैं।

यदि आप सर्जरी करवाना चाहती हैं, कैंसर-सौन्दर्य सर्जन आपके कैंसर विशेषज्ञ से बात करके आपकी सर्जरी के लिए सही समय मालूम करके उसके अनुसार ही आगे की व्यवस्था करेंगे। यदि आप किमोथेरेपी के बाद रेडियोथेरेपी करवाना चाहती हैं तब आपकी ब्रेस्ट-पुनर्रचना की प्रक्रिया में थोड़ी देर हो सकती है। इसका कारण है कि रेडियोथेरेपी के बाद स्किन में सूजन आने के साथ ही वह थोड़ी सख्त भी हो सकती है जिसके कारण ब्रेस्ट के बाहरी रूप के खराब होने का डर रहता है।

अपने लिए ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय क्यों लें?

किसी भी महिला के एक या दोनों ब्रेस्ट के निकल जाने से उनके बाहरी रंग-रूप और भावनाओं में अंतर आने की संभावना हो सकती है। अधिकतर महिलाएं अपने बाहरी रंग-रूप को स्वीकार करने में असहज रहती हैं और उनके लिए अपनी रोज़ की सामान्य जीवन में लौटना भी मुश्किल हो जाता है। ब्रेस्ट-पुनर्रचना से कैंसर के मरीजों में थोड़ा आत्मविश्वास में वृद्धि तो हो जी जाती है साथ ही वे अपने सामाजिक जीवन में भी सरलाता से लौट सकती हैं। इसके साथ ही अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने में भी सहज रहती हैं।

ब्रेस्ट-पुनर्रचना की सीमाएं

जिन महिलाओं ने ब्रेस्ट-पुनर्रचना की सर्जरी करवाई है वो अपने निर्णय के परिणाम से थोड़ी-बहुत संतुष्ट दिखाई देती हैं। इसके बाद उनका पहले जैसा रंग-रूप वापस लौट आता है। लेकिन फिर भी इस सर्जरी की कुछ सीमाएं हैं जैसे:
● दोबारा बनाई गई ब्रेस्ट में प्राकृतिक ब्रेस्ट जैसी संवेदनशीलता और एहसास नहीं होते हैं।
● यदि बाद में आपके शारीरिक वजन में कमी या वृद्धि होती है तो इसका प्रभाव कृत्रिम ब्रेस्ट पर नहीं पड़ता है और इससे आपके शाइररिक बनावट पर असर पड़ सकता है।
● स्त्नोच्छेदन के बाद अगर ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय लेती हैं तब पूरी तरह से ठीक होने में बिना पुनर्रचना के निर्णय की तुलना में अधिक लगता है।
● सौंदर्य की दृष्टि से पुनर्रचना करवाने पर ब्रेस्ट के सही आकार और रंग रूप में लाने के लिए एक से अधिक सर्जरी और डॉक्टर के पास सलाह के लिए एक से अधिक बार जाना पड़ सकता है।
● ब्रेस्ट-पुनर्रचना के लिए शरीर के अन्य भाग से स्वस्थ टिश्यू लिए जाते हैं जिसके निशान दिखाई देते हैं।
● पुनर्रचना की गई ब्रेस्ट में निप्पल नहीं होता है, हालांकि इसे बाद में टैटू या किसी और माध्यम से कृत्रिम रूप से बनवाया जा सकता है।
हालांकि पुनर्रचना के माध्यम से बनी ब्रेस्ट में प्राकृतिक ब्रेस्ट जैसा एहसास और बनावट नहीं होती है लेकिन कपड़ों के नीचे इस अंतर का पता नहीं लगता है। सर्जरी के निशान समय के साथ चले जाते हैं। कृत्रिम ब्रेस्ट, विशेषकर इंप्लांट के सहयोग से मिलकर बनी ब्रेस्ट में समय बीत जाने के बाद भी अंतर नहीं आता है। इनमें मांसपेशियों की हलचल न होने के कारण प्राकृतिक एहसास और हलचल संभव नहीं होती है।

इन सब सीमाओं के बाद, अधिकतर महिलाएं यह मानती हैं कि ब्रेस्ट-पुनर्रचना की सर्जरी के बाद उनका अपने शारीरिक रंग-रूप संबंधी विश्वास में वृद्धि हुई है। यदि स्त्नोच्छेदन के बाद आप कृत्रिम-अंग ब्रेस्ट का उपयोग कर रही हैं तो जब तक ऐसा करने की सलाह न दी जाये, आप बाद में भी ब्रेस्ट-पुनर्रचना का निर्णय ले सकती हैं।

पुनर्रचना के साथ ब्रेस्ट-संरक्षित सर्जरी

ब्रेस्ट संरक्षित सर्जरी को आम बोलचाल की भाषा में लूम्पेक्टोमी कहा जाता है जिसमें ब्रेस्ट में से कैंसर प्रभावित टिश्यू के साथ आस-पास के थोड़े से स्वस्था टिश्यू निकाल दिये जाते हैं। इस सर्जरी में ब्रेस्ट का मूल आकार और समानता को बनाए रखने के लिए कैंसर सेल्स के साथ स्वस्थ ब्रेस्ट सेल्स की पतली परत निकाल दिये जाते हैं। सर्जरी के दौरान, खाली हुई जगह में बची हुई ब्रेस्ट के स्वस्थ टिश्यू में से कुछ हिस्सा लेकर, भर दिया जाता है जिससे ब्रेस्ट में कोई भी स्थान खाली नहीं रहता है।

ब्रेस्ट-संरक्षित सर्जरी के बाद स्वास्थ्य लाभ

यह सर्जरी जनरल एनेस्थेशिया के साथ की जाता है इसलिए इसमें लगने वाला समय सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है। इसके बाद लगने वाला स्वास्थ्य लाभ का समय भी इसी बात पर निर्भर करता है।

सर्जरी के बाद होश में आने के बाद आप यह देख सकती हैं कि ब्रेस्ट की पुनर्रचना हो चुकी है और उसपर पट्टी बांधी जा चुकी है। अगर ब्रेस्ट-पुनर्रचना के लिए शरीर के अन्य भागों से टिश्यू लिए जाते हैं तब वहाँ पर भी पट्टी बांधी गई होगी। सर्जरी के बाद आपको कुछ दिन विशेष देखभाल के लिए रखा जा सकता है जिससे यह पता लग सके कि आपके शरीर में सभी जगह ब्लड का सही प्रवाह हो रहा है या नहीं और कहीं सूजन तो नहीं आ रही है।

सर्जरी के बाद हो सकता है उस जगह पर कोई मवाद या गंदा फ्लूड जमा हो जाये तो उसे निकालने की भी व्यवस्था की जा सकती है। आपके सर्जन आपको बेड पर पूरा आराम करने के लिए कह सकते हैं और शरीर से पेशाब और इसी रास्ते से कुछ अगर फ्लूड भी निकलना हो तो उसके लिए तब तक के लिए कैथेटर लगा सकते हैं जब तक आप स्वयं पूरी तरह से ठीक होकर टॉइलेट जाने की अवस्था में न आ जाएँ।

स्वास्थ्यलाभ करने के लिए आपको एंटिबायोटिक्स और दर्द-निवारक दवाएं दी जा सकती हैं। आपके पूरी तरह से स्वास्थ्यलाभ में कितना समय लग सकता है यह आपके ऊपर की जाने वाली सर्जरी की प्रक्रिया और आपकी इच्छा-शक्ति पर निर्भर करता है।

अपनी दिनचर्या को फिर से शुरू करना

पुनर्रचना के जरिये नयी बनाई गई ब्रेस्ट को शरीर के साथ व्यवस्थित होने और पुरानी प्राकृतिक ब्रेस्ट के अनुरूप दिखने में कुछ समय लग सकता है। शुरू-शुरू में ब्रेस्ट पर चोट लगने के निशान और सूजन जैसा आ सकते हैं लेकिन यह समय के साथ चले जाएँगे।

थोड़े समय के बाद आप अपनी सामान्य दिनचर्या को फिर से शुरू कर सकती हैं। यह अच्छा रहेगा कि आप इन कामों को धीरे-धीरे शुरू करें। अपने स्वास्थ्य लाभ के समय में वाहन चलाना, तैराकी या कोई भारी व्यायाम जैसा कोई भी काम न करें। यदि आप किसी भी काम में थकान महसूस करें तो उसे करने से तुरंत रोक दें। यदि आपको कहीं से खून निकलने, दर्द, इन्फेक्शन या कहीं पर ब्लड/फ्लूड इकठ्ठा होने का एहसास हो तो तुरंत अपने सर्जन से संपर्क करें।

जब आप पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करें तब आप अपने काम पर जा सकती हैं, फिर भी आपको अपने डॉक्टर के पास नियमित चेकअप और सलाह के लिए जाना होगा।

लेखिका : प्रत्योशा मजूमदार