पूर्ति -05- जब आपकी पत्नी के ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लगता है

जब किसी भी पति को अपनी पत्नी के ब्रेस्ट कैंसर से पीढ़ित होने के बारे में पता लगता है तब निश्चय ही यह उसके लिए बहुत पीड़ादायक हो सकता है। ज़्यादातर पति इस समय विभिन्न प्रकार की भावनाओं से भर जाते हैं जिसमें घबराहट का भाव सबसे ऊपर होता है। यह भाव पत्नी के ब्रेस्ट कैंसर का उनके (पतियों के) जीवन पर पड़ने वाले अधिकतम प्रभाव के बारे में सोचने के कारण हो सकता है।

कुछ पति तो अपने जीवनसाथी के बिछड़ जाने के बारे में भी सोच कर परेशान हो जाते हैं। हालांकि यह समय निश्चित ही आपके और आपके बच्चों के लिए परेशानी से भरा हो सकता है लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में बहुत ज़रूरी है कि आप स्वयं को शांत बनाए रखें। साथ ही इस बात पर ध्यान दें कि क्या किया जा सकता है न कि यह सोच कर परेशान हों कि क्या कभी नहीं हो सकता है।

इस स्थिति में जैसे ही आप अपनी पत्नी के संरक्षक और दोस्त के रूप में देना शुरू करते हैं वैसे ही इन परेशानियों को समझ कर अपनी पत्नी का साथ देते हुए आपके लिए सब कुछ बहुत आसान होने लगेगा। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपको इस मुश्किल घड़ी का सामना करने में परेशानी आ रही है तब आप किसी अच्छे काउंसलर से मदद ले सकते हैं। आप इस संबंध में पूर्ति से भी अपना अनुभव शेयर कर सकते हैं।

अपनी पत्नी की भावनाओं को समझें और उसका साथ दें

अधिकतर महिलाएं तो अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लगते ही सदमें जैसी स्थिति में पहुँच जाती हैं। कुछ डिप्रेस्ड, डरी हुई या फिर गुस्से जैसी फिलिंग भी महसूस कर सकती हैं। मुझे ही ऐसी परेशानी क्यों आई, जैसी भावना किसी भी कैंसर से पीड़ित मरीज के मन में आना बिल्कुल स्वाभाविक सी बात है। जबकि कुछ महिलाएं अपने मन में इस बात से भी संतुष्ट हो सकती हैं कि चलो अच्छा हुआ, कैंसर के बारे में समय से पता लग गया, अब कम से कम इसका इलाज तो हो सकता है। आपकी पत्नी इनमें से कैसी बात मन में सोचेगी यह अलग-अलग बात पर निर्भर करता है। इनमें उनकी पर्सनेलिटी, कल्चरल बैकग्राउंड, उन्होनें स्वयं को किस तरह से तैयार किया है या उनका किसी ऐसे मरीज से कोई संबंध रहा है जिसको ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है आदि सबका ही प्रभाव पड़ता है।

कुछ महिलाएं ये भी सोचती हैं कि उन्हें अपने परिवार के सामने कमजोर नहीं होना है बल्कि उनकी ताकत बनना है। इसी तरह कुछ महिलाएं अपने थेरेपिस्ट और परिवार के सदस्यों के साथ अपनी परेशानी शेयर करके उनकी सहायता से स्वयं को मजबूत बनाने का प्रयास करती हैं।

हो सकता कि आप और आपकी पत्नी की भी कुछ ऐसी ही भावनाएँ हों, लेकिन किसी समय आपकी सोच अपनी पत्नी से अलग भी हो सकती है। लेकिन इस बात को याद रखें कि आपको हमेशा अपनी पत्नी का साथ हर हाल में देते हुए मुश्किल समय के लिए हर समय तैयार रहना है।

ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जानकारी इकट्ठा करना

एक ओर तो आप पति-पत्नी एक प्रकार के इमोशनल क्राइसिस से गुज़र रहे हैं, और दूसरी ओर, आपको इस समय होने वाले विभिन्न टेस्ट और उनसे निकालने वाले परिणाम, चल रहा इलाज और इन सबके कारण होने वाले साइड इफेक्ट को देखकर थोड़ी घबराहट भी हो सकती है। एक समय ये भी हो सकता है कि आपके पास ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी जानकारी का ढेर भी लग गया हो।

आप इन सबके साथ कितना जुड़ना चाहते हैं ये तो आप पति-पत्नी दोनों का ही फैसला होगा। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इस संबंध में अधिक से अधिक जानकारी लेना चाहते हैं और इसके लिए वो बुकलेट्स, वीडियो, डिस्कशन और ब्रेस्ट कैंसर से उबरे लोगों के विचार भी जानना चाहते हैं। यह तो हर व्यक्ति और जीवनसाथी की सोच है कि वह जानकारी लेने के लिए इस सबमें कितना और किस प्रकार जुड़ना चाहते हैं। एक जागरूक पति होने के नाते आपको अपनी पत्नी की अलग-अलग आई रिपोर्ट्स में लिखे फैक्ट्स और फिगर्स को पढ़ना और उनका महत्व समझना आना चाहिए। याद रखें कि इन्हीं रिपोर्ट्स के आधार पर ही इलाज किया जाना है।

यहाँ यह भी अच्छा होगा कि आप अपनी पत्नी से सलाह ले लें कि वो आपको इस स्थिति में अपने साथ किस प्रकार खड़ा देखना चाहती हैं। इसके बाद भी आप खुद आगे आने के लिए तैयार रहें और पत्नी को न केवल शारीरिक रूप में बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी साथ देने के लिए तैयार रहें।

शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों के साथ सहयोग करना
सर्जरी के बाद :

ब्रेस्ट कैंसर के कारण, शरीर से ब्रेस्ट निकाल देने पर आपकी पत्नी की बाहरी रंग-रूप पर असर पड़ सकता है। इसमें हो सकता है कि आपकी पत्नी के एक या दोनों ब्रेस्ट निकाल दी जाएँ या फिर उनके इसमें होने वाले एहसास में कमी आ जाए। आप इस प्रकार के होने वाले परिवर्तनों में किस प्रकार पत्नी को सहयोग करेंगे यह केवल आपका अपना निर्णय और पसंद होगी। हो सकता है कि आप उन पति-पत्नी से बात करना चाहें जो इस तरह कि परेशानी से गुज़र चुके हैं या फिर आप उन तसवीरों को देखना पसंद करेंगे जो ब्रेस्ट कैंसर के कारण बनने वाले निशानों को दिखाते हैं।

शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों के साथ सहयोग करना
सर्जरी के बाद :

ब्रेस्ट कैंसर के कारण, शरीर से ब्रेस्ट निकाल देने पर आपकी पत्नी की बाहरी रंग-रूप पर असर पड़ सकता है। इसमें हो सकता है कि आपकी पत्नी के एक या दोनों ब्रेस्ट निकाल दी जाएँ या फिर उनके इसमें होने वाले एहसास में कमी आ जाए। आप इस प्रकार के होने वाले परिवर्तनों में किस प्रकार पत्नी को सहयोग करेंगे यह केवल आपका अपना निर्णय और पसंद होगी। हो सकता है कि आप उन पति-पत्नी से बात करना चाहें जो इस तरह कि परेशानी से गुज़र चुके हैं या फिर आप उन तसवीरों को देखना पसंद करेंगे जो ब्रेस्ट कैंसर के कारण बनने वाले निशानों को दिखाते हैं।

सर्जरी के बाद :
ब्रेस्ट कैंसर के कारण, शरीर से ब्रेस्ट निकाल देने पर आपकी पत्नी की बाहरी रंग-रूप पर असर पड़ सकता है। इसमें हो सकता है कि आपकी पत्नी के एक या दोनों ब्रेस्ट निकाल दी जाएँ या फिर उनके इसमें होने वाले एहसास में कमी आ जाए। आप इस प्रकार के होने वाले परिवर्तनों में किस प्रकार पत्नी को सहयोग करेंगे यह केवल आपका अपना निर्णय और पसंद होगी। हो सकता है कि आप उन पति-पत्नी से बात करना चाहें जो इस तरह कि परेशानी से गुज़र चुके हैं या फिर आप उन तसवीरों को देखना पसंद करेंगे जो ब्रेस्ट कैंसर के कारण बनने वाले निशानों को दिखाते हैं।

सर्जरी या मेस्टोकेमि (ब्रेस्ट हटाने वाली सर्जरी) के बाद महिला के ब्रेस्ट चोट खाये, सूजे और निशानों से भरे हुए दिखते हैं। हालांकि समय के साथ ये निशान चले जाते हैं और इसके साथ ही आप भी पत्नी के ब्रेस्ट के बदले हुए रूप के साथ एडजस्ट करना शुरू कर चुके होंगे। इस समय अधिकतर महिलाएं यह सोचती हैं कि वे अब अपनी पति कि दृष्टि में उतनी खूबसूरत नहीं रहीं। इस सोच के कारण उनके वैवाहिक जीवन और पति के साथ अंतरंगता में अंतर आ सकता है।
बाल झड़ना :

अधिकतर महिलाएं इलाज के दौरान थोड़े बहुत या फिर अधिकतर बाल खो देती हैं। इसमें वो न केवल सिर के बल्कि शरीर के अन्य भागों के जैसे आई ब्रो और पलकें तक के बाल झाड जाते हैं। कुछ लोगों के लिए यह स्थिति बहुत दर्दनाक हो सकती है। किमोथेरेपी के कारण होने वाले बालों के नुकसान अधिकर अस्थायी होते हैं और एक बार इलाज कि प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद झाडे हुए सभी बाल वापिस भी आ जाते हैं। इस समय बालों के नुकसान को छिपाने के लिए आप अपनी पत्नी को हेयर विग, स्कार्फ या एक अच्छी सी टोपी पहनने की सलाह दे सकते हैं।
थकान :
आमतौर पर यह देखा गया है कि जो भी व्यक्ति कैंसर के इलाज के लिए किमोथेरेपी करवाते हैं उन्हें बहुत अधिक थकान होने की शिकायत होती है। कुछ स्थितियों में तो यह थकान इलाज पूरा होने के काफी समय बाद तक चलती रहती है। इसके कारण हो सकता है आपकी पत्नी को भी इस दौरान रोज़ के सामान्य काम भी करने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो। अब यदि आप काम के सिलसिले में अधिकतर बाहर रहते हैं तब आप इस स्थिति में अपने मित्र या संबंधियों से आपकी पत्नी को घर के काम में मदद करने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं।

मैनोपोज़ के लक्षण :
कैंसर के इलाज के लिए किमोथेरेपी य हार्मोन सप्रेशन के कारण महिलाओं में मैनोपोज़ जैसे लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। इसका कारण शरीर में सेक्स हार्मोन के लेवल में अंतर होना माना जाता है। इसके कारण हॉट फ्लैश, रात में अधिक पसीना आना, योनि का सूखापन, वजन बढ्न, मूड स्विंग आदि मैनोपोज़ के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

इन लक्षणों के कारण हो सकता है कि आपकी पत्नी थोड़ा उदास रहने लगे और अपने आत्मविश्वास में कमी भी महसूस कर सकती हैं। यही वह समय है जब आप उनकी अच्छी से अच्छी मदद करने के बारे में सोच रहे हैं तब आप उनके आत्मविश्वास को सहारा देते हुए उन्हें बात करने के लिए प्रेरित करें और उनकी बातों को धैर्य से सुनें।

जीवनसाथी का साथ देना

इस समय हो सकता है कि आपको अपनी पत्नी की सभी जरूरतों को समझने में मुश्किल आ रही हो। ऐसे में आपका अपने जीवनसाथी का सहयोग करने का सबसे आसान तरीका है कि आप उनसे बातचीत करें।
यदि आपको लगता है कि आपकी पत्नी किसी तरह से आपका सहयोग कर सकती है तब आप तुरंत ही उन्हें बताएं।
इस समय आपको अपने समबन्धियों और मित्रों से अधिक-से अधिक फोन कॉल भी आएंगे तब यह बहुत ज़रूरी है कि आप इस बातचित को सीमित करके केवल इलाज प्रक्रिया पर ही ध्यान दें।

अपनी पत्नी को सुनें:
कभी-कभी अपनी पत्नी को उस समय धैर्य से सुनना थोड़ा कठिन हो जाता है जब वह उदास महसूस कर रही हो। आपकी इस समय इच्छा होगी कि आप इस बातचीत का रुख मोड़कर उसका ध्यान बंटाने कि कोशिश कर सकते हैं। आपको हर एक अच्छे दोस्त की तरह अपनी पत्नी की हर बात को धैर्य से सुनना होगा। आपको इस समय धैर्य पूर्वक उनकी बातों को एक मित्र की भांति सुनने की कोशिश करनी होगी न की उसे ठीक करने की कोशिश करनी होगी। जब आप अपनी पत्नी से बात कर रहे हों तब आपको अपना ध्यान किसी भी और चीज़ जैसे टीवी चलाना, मोबाइल की बात सुनने के लिए पत्नी की बात को काटना आदि जैसी स्थितियों से बचना होगा।

अपने प्यार को किसी भी रूप में जताएँ :
यदि आपकी पत्नी बात करने में संकोच करती है तब आप आगे बढ़कर उनसे बात करें। या फिर अपने प्यार को केवल एक आलिंगन, चुंबन या सिर्फ हाथ फेरने से भी जाता सकते हैं। इन सबसे आप दोनों के प्यार को सहारा मिल सकता है और आपको तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा घर के छोटे-छोटे काम जैसे साफ-सफाई करना, रसोई साफ करना, बच्चों के लिए नाश्ता तैयार करना भी आपकी पत्नी को हैरानी और खुशी दोनों ही दे सकते हैं।

डॉक्टर के पास जाना :
कोशिश करें कि आपकी पत्नी जब भी ट्रीटमेंट या चेकअप के लिए डॉक्टर अथवा हॉस्पिटल जाएँ तब आप भी उनके साथ जाएँ। यदि आप नौकरी या बिजनेस करते हैं तब हो सकता है आपके लिए इन कामों के लिए समय निकालना थोड़ा मुश्किल हो जाये । तब इस स्थिति में आप सारे ट्रीटमेंट सेशन का पूरा शेड्यूल नोट कर लें और अपने अधिकारियों के साथ बैठकर इस बात को सुनिश्चित कर लें कि आप किस प्रकार दोनों स्थितियों में संतुलन बैठा सकते हैं।

हर संभव सहायता दें:
सामान्य रूप से अधिकतर महिलाएं इस इलाज के बाद अपना जीवन सामान्य रूप से जीने लगती हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात इलाज के बाद होने वाली वह थकान है जिससे उनकी रोज के काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। आप उनकी कुछ काम जैसे ख़रीदारी करने, घर की साफ-सफाई, बागवानी, कपड़े या बर्तन धोने में मदद कर सकते हैं। इससे निश्चित ही आपकी पत्नी को बहुत मदद मिल सकती है। इसके अलावा आप उनसे पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें किसी और काम के करने में मदद की जरूरत तो नहीं है। इस काम में आप अगर अपने कुछ नजदीकी मित्र और परिवार के सदस्यों की भी मदद ले सकते हैं।

अपनी देखभाल भी करें :

अपनी जीवनसाथी का सच्चे रूप में साथ देने के लिए बहुत जरूरी है कि आप स्वयं को भी स्वस्थ व प्रसन्न रखें। आपको अपनी मदद भी खुद ही करनी है। इसके लिए आपको अपने खाने-पीने का ध्यान रखने के साथ ही व्यायाम करके शरीर को भी तंदुरुस्त रखते हुए अच्छी नींद के नियम का पालन करना होगा।
अपनी पत्नी का साथ देने के साथ ही आपको अपने लिए भी कुछ समय निकालना होगा। इसके लिए सैर पर जाना, अपने दोस्तों के साथ कुछ समय बिताना और अपनी निजी डायरी में कुछ न कुछ लिखना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
यदि फिर भी आप अपने ऊपर किसी प्रकार का दबाव या किसी तनाव को महसूस कर रहे हैं तो किसी भी ऐसे व्यक्ति से बात करें जो आपकी जैसी ही स्थिति से गुज़र चुका हो। यहाँ बहुत सी ब्रेस्ट कैंसर संगठन इस प्रकार की स्थिति में सहायता और देखभाल में मदद कर सकती हैं।

इलाज के बाद की जिंदगी :

हर महिला का ब्रेस्ट कैंसर का इलाज अलग-अलग रूप में होता है। इसी तरह इससे उबरने का समय भी सबका अलग-अलग होता है। इसमें कीमोथेरेपी तो कुछ दिन चलती है लेकिन हॉरमोन थेरेपी का इलाज पूरा होने में कुछ साल लग जाते हैं। इसलिए जब एक बार ब्रेस्ट कैंसर का इलाज हो जाये तब अपने मन में इस डर को बिल्कुल जगह न दें कि एक बार कैंसर होने का मतलब यह बाद में भी आ सकता है या इसके बाद आपकी पत्नी के कार्यकुशलता में कमी आ जाएगी। बल्कि पॉज़िटिव सोच के साथ जीवन में आगे बढ़ें और किसी मुश्किल में काम आने वाले दोस्त बाते हुए एक दूसरे की ताकत बनें।
जिदंगी का यह पल आपके रिश्ते को और अधिक मजबूती देते हुए किसी भी विपरीत स्थिति में आगे बढ़ने की ताकत भी देता है।

लेखिका : एल प्र्त्यूशा मजूमदार