भारतीय महिलाओं में अन्य विभिन्न प्रकार के होने वाले कैंसर में से स्तन कैंसर सबसे अधिक होने वाला रोग है और प्रति 100.000 महिलाओं में से 25.8 प्रतिशत महिलाएं इससे प्रभावित होती है और 100,000 प्रभावित महिलाओं में 12.7 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है। भारत में ही वर्ष 2018 में स्तन कैंसर के 1,62,468 नए मामले सामने आए और 87,090 मृत्यु के मामले भी देखे गए हैं। इसी प्रकार पूरे विश्व में वर्ष 2018 में लगभग 2 लाख स्तन कैंसर के नए मामले रिकॉर्ड किए गए हैं।
सामान्य रूप से किसी महिला को स्तन कैंसर होने के अनेक कारण हो सकते हैं। यह जानलेवा बीमारी प्रायः किसी एक कारण का नहीं बल्कि बदलती जीवनशैली, हमारे जींस और आसपास के परिवेश के परिणामस्वरूप विभिन्न कारणों का संयोग होती है। हालांकि बहुत सारे कारण इसमें ऐसे होते हैं जिन्हें हम चाह कर भी बादल नहीं सकते हैं, लेकिन फिर भी कुछ तो ऐसे होते हैं जिनके बारे में सोचा जा सकता है।
आपने स्तन कैंसर से जुड़े खतरों के संबंध में सुना हो होगा और इसमें प्रमुख रूप से डियोडरेंट, कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ और पर्यावरण में मिले हुए रसायन का नाम लिया जाता रहा है। हालांकि इस बारे में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं कि केवल इनके कारण ही स्तन कैंसर होता है। आप मीडिया के माध्यम से उन अन्य विभिन्न कारणों के बारे में भी जान सकते हैं जिन्हें स्तन कैंसर होने का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हालांकि इन रिपोर्ट्स में किसी प्रकार के ठोस प्रमाण नहीं जुड़े होते हैं फिर भी इनके आधार पर थोड़ा सावधान तो रहा ही जा सकता है।
वह क्या है जो हम बदल सकते हैं
अपनी जीवनशैली में थोड़ा सा परिवर्तन करके ही हम स्तन कैंसर के होने के खतरे को कम कर सकते हैं। हालांकि यह कोई गारंटी नहीं है, लेकिन फिर भी एक स्वस्थ जीवनशैली के जीने से कुछ न कुछ तो अच्छा होता ही है।
क्रियाशील रहें
वह कोई भी एक्टिविटी जिसके करना से हमें गहरी साँस लेने का मौका मिलता है और शरीर में गर्मी आती है, वह हमारे लिए लाभदायक होती है। इसलिए मुख्य बात तो यह है की हमें हमेशा शारीरिक रूप से एक्टिव रहते हुए नियमित रूप से व्यायाम करते रहना चाहिए। एक्टिव रहने से हम अन्य विभिन्न परेशानियाँ जैसे हृदय संबंधी बीमारियाँ, मधुमेह और स्ट्रोक आदि से तो बच ही सकते हैं साथ ही डिप्रेशन के लक्षणों को कम करते हुए अपने मूड को भी हमेशा अच्छा बनाए रखने में सफल हो सकते हैं।
शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखें
महिलाओं में माहवारी बंद होने के बाद स्तन कैंसर होने का खतरा तब और अधिक हो जाता है जब उनका शारीरिक वजन सामान्य से काफी अधिक को और यही बढ़ा हुआ वजन इस खतरे को और अधिक बढ़ा देता है। हमें अपने भोजन को सामान्य रखते हुए वह हर प्रकार की वस्तु जो शरीर के लिए लाभकारी हों, जैसे ताज़े फल व सब्जी, दालें,साबुत अनाज को शामिल करना चाहिए और इसके अलावा रेड मीट, अधिक तेल व चिकनाई वाले भोजन, तथा जंक फूड से परहेज रखना लाभकारी ही होता है।
मदिरापन सीमित मात्रा में
नियमित रूप से किया जाने वाला मदिरापन स्तन कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है इसलिए हर बार पी जाने वाली शराब, स्तन कैंसर के खतरे को और अधिक पास ले आती है। यदि व्यक्ति मदिरापन को सीमित कर देता है तो न केवल स्तन कैंसर के खतरे को कम कर देता है बल्कि अन्य विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ का अधिकारी भी बन जाता है।
धूम्रपान न करें
नियमित रूप से किए जाने वाले धूम्रपान को छोड़ देने से स्तन कैंसर के होने वाले खतरे को स्वयं ही कम किया जा सकता है। यह तो विभिन्न प्रकार की शोध रिपोर्ट्स में भी सिद्ध हो चुका है कि थोड़ी मात्रा में किया जाने वाला धूम्रपान भी स्तन कैंसर के खतरे को काफी अधिक मात्रा में बढ़ा देता है।
प्रेग्नेंसी और स्तनपान
परिवार में बच्चे न केवल मन को खुशी देते हैं बल्कि माँ को भी स्तन कैंसर से होने वाले खतरे को भी काफी कम कर देते हैं। इस संबंध में यह बात देखी गई है कि महिलाएं यदि कम उम्र में माँ बनती हैं और अधिक बच्चों को जन्म देती हैं उतना ही उन्हें स्तन कैंसर के होने का खतरा कम हो जाता है। प्रेग्नेंसी के बाद कोई महिला जितना लंबे समय तक स्तनपान करवाती है उतना ही उसके स्तन कैंसर होने का खतरा कम होता जाता है। इसी प्रकार वे कामकाजी दंपत्ति जो अपने परिवार को जल्दी शुरू नहीं कर पाते हैं उनके जीवन में स्तन कैंसर का खतरा अधिक हो जाता है।
वह क्या है जो हम बदल नहीं सकते हैं
स्तन कैंसर होने के कुछ कारण ऐसे भी होते हैं दुर्भाग्यवश जिनके ऊपर हमारा कोई वश नहीं होता है। इस संबंध में यही कहा जा सकता है कि जितना जल्दी स्तन कैंसर के होने का पता लग जाता है उतना ही इसके इलाज की सफलता की संभावना अधिक हो जाती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि विधिवत चिकित्सक के पास जाकर अपनी स्तन की नियमित जांच की जाये।
जब आपका मासिक धर्म शुरू हो और समाप्त हो
अगर किसी महिला का मासिक धर्म सामान्य समय से कुछ पहले शुरू होता है तब उसके स्तन कैंसर होने की संभावना कुछ अधिक हो जाती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इस स्थिति में महिला के शरीर में महिला हार्मोन, एस्ट्रोजेन अधिक समय तक रहते हैं। इसी प्रकार यदि किसी महिला का मासिक धर्म सामान्य से अधिक आयु तक चलता है या उसका मैनोपोस देर से होता है तब भी स्तन कैंसर के होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन यह अपेक्षाकृत पहले की तुलना में कम होता है।
परिवार में पहले किसी को स्तन कैंसर हो
यदि परिवार में पहले किसी महिला को स्तन कैंसर हो चुका है तब आने वाली पीढ़ी में यह खतरा औसत रूप से अधिक हो जाता है। यह देखा गया है कि 10 में से 1 महिला ऐसी होती हैं जिनके स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास रह चुका है।
होर्मोन रिप्लेस्मेंट थेरेपी
महिलाओं में होर्मोन रिप्लेस्मेंट थेरेपी वह इलाज है जिसमें सामान्य रूप से एस्ट्रोजेन के लेवल को बढ़ाकर मैनोपोस के लक्षणों से आराम देने का प्रयास किया जाता है। किसी महिला के द्वारा इस थेरेपी को लंबे समय तक इस्तेमाल किए जाने पर उनका स्तन कैंसर का खतरा भी अधिक हो जाता है।
कोनट्रासेप्टिव पिल्स
महिलाओं द्वारा ली जाने वाली कोनट्रासेप्टिव पिल्स या गर्भनिरोधक गोलियों के लंबे समय तक प्रयोग किए जाने से भी स्तन कैंसर के होने का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन जब इन्हें लेना रोक दिया जाता है तब कुछ वर्षों में यह खतरा स्वयमेव ही खत्म भी हो जाता है। अधिकतर इन गोलियों का सेवन किशोरी से लेकर 30 वर्ष तक की महिलाएं करती हैं। यदि आपकी उम्र 35 वर्ष से कम है तब आपको स्तन कैंसर के होने का खतरा काफी कम हो जाता है, इसलिए आपको गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बहुत सोच समझ कर ही करना चाहिए।
स्तन की बनावट
कुछ महिलाओं की स्तन की बनावट इस प्रकार की होती है जिसमें उनके स्तन टिश्यू फैट टिश्यू की तुलना में अधिक होते हैं। इस बनावट को ‘हाई स्तन डेंसीटी’ कहा जाता है। इस प्रकार की बनावट में भी स्तन कैंसर की संभावना अधिक होती है।
मुलायम ब्रेस्ट्स
यदि किसी महिला की स्तन की बनावट मुलायम होती है तब उसको स्तन कैंसर होने की संभावना अपेक्षाकृत अधिक हो जाती है। इस स्थिति में स्तन सेल्स जिन्हें ‘प्रोलीफ़ेरेटिव’ कहते हैं, बहुत जल्दी बनने लगते हैं।
एक्स-रे
महिलाओं की छाती का अधिक बार किया हुआ एक्सरे भी स्तन कैंसर को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से इसकी संभावना बहुत कम होती है।
यदि आप यहाँ बताए गए स्तन कैंसर से जुड़े किसी खतरे को लेकर चिंतित हैं तो तुरंत ही अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। वो आपकी जांच करके सही सलाह देते हुए आपको सही निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। फिर भी सामान्य रूप से आपको अपने स्तन की नियमित जांच करवाते रहना चाहिए जिससे किसी असमान्य बात का समय रहते ही पता लग सके।
लेखिका : प्र्त्योशा मजूमदार