पूर्ति -08 ब्रेस्ट कैंसर उपचार के साइड इफेक्ट
जब किसी व्यक्ति को कैंसर के बारे में पता लगता है तब मानों उसके पैरों तले ज़मीन सरक जाती है और मन में भावनाओं के अंधड़ चलने लगते हैं। अधिकतर कैंसर के मरीज न केवल इलाज के दौरान बल्कि बाद में भी मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान से रहते हैं। इसलिए अगर आप भी इस स्थिति में हैं तब आपको कैंसर-मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए। ये लोग न केवल धैर्य से आपकी बात सुनेंगे बल्कि आपकी भावनाओं और दर्द को समझते हुए सही सलाह भी दे सकते हैं, इसलिए आप इनके सम्मुख अपने मन की हर बात, डर और दर्द को कह सकती हैं। अधिकतर देखा गया है कि इस तरह के सेशन कैंसर के मरीजों के लिए बहुत मददगार सिद्ध होते हैं। आप उनसे बात करके बहुत हल्का महसूस कर सकती हैं। उनसे बात करके आप न केवल अपने अनुभव उनके साथ शेयर कर सकती हैं बल्कि उनके अनुभवों से लाभ भी उठा सकती हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो आपकी पीढ़ा और दर्द सहने की शक्ति दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकती है, इसलिए जहां तक हो सके बात करें।
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के तनाव को सहना कोई आसान बात नहीं होती है। कैंसर का प्रभाव न केवल शरीर पर बल्कि जज़्बातों पर भी पड़ता है। इस लेख में हम विशेषकर ब्रेस्ट कैंसर के साइड इफ़ेक्ट्स की चर्चा करेंगे। अक्सर कुछ साइड इफेक्ट हमेशा के लिए रह जाते हैं जो आपके ब्रेस्ट कैंसर की एक बुरी याद बन जाते हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि शारीरिक और भावनात्मक इलाज के लिए आप एक अच्छे कैंसर-मनोवैज्ञानिक से मिलें। इनमें से कुछ साइड इफेक्ट थोड़े समय के लिए रहते हैं जो समय के साथ अपने आप ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ का असर तो इलाज के पूरा होने क बाद भी लंबे समय तक दिखाई देता है जो महीनों और कभी-कभी तो वर्षों तक चलता है। कुछ साइड इफेक्ट स्थायी रूप से हमेशा के लिए भी रह जाते हैं, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि आप आप अपने मन में इसके लिए कुछ डर बैठा लें।
दिल में उम्मीद रखें : हमेशा एक रास्ता होता है
ब्रेस्ट कैंसर के बाद स्वस्थ होना कोई आसान काम तो नहीं बल्कि यह एक लंबे समय तक चलने वाला, पीड़ादायक और ठोस दृढ़ता की मांग करने वाला उपचार होता है। इस प्रक्रिया में यदि आपको किसी समय मदद की जरूरत महसूस होती है तो तुरंत किसी अच्छे ब्रेस्ट कैंसर केयर ग्रुप से संपर्क करके अपनी बात उनके साथ साझा करें। कभी-कभी दर्द को बांटने से वह कम हो जाता है।
यदि दुर्भाग्य से आपने अपने जीवन साथी या किसी अपने को ब्रेस्ट कैंसर के कारण खोया है तब आफ्नै देखभाल करने वाले से अपनी कहानी जरूर शेयर करें।
किमोथेरेपी के साइड इफेक्ट
इससे पहले कि हम इसके साइड इफेक्ट की यहाँ चर्चा करें, यह बात स्पष्ट कर दें कि ये साइड इफेक्ट हर व्यक्ति के ऊपर अलग-अलग होते हैं। किन्हीं भी दो व्यक्तियों के ऊपर किसी एक दवा का असर एक जैसा नहीं होता है। यह इलाज शुरू करने से पूर्व आप अपने कैंसर चिकित्सक के कोंटेक्ट डिटेल्स हमेशा अपने पास रखें जिससे आप अपनी किसी भी समय होने वाली परेशानी को उन्हें तुरंत सूचित कर सकें।
• रक्त पर प्रभाव
किमोथेरेपी का सबसे बड़ा असर रक्त पर दिखाई देता है क्योंकि इसके कारण बोन मैरो की क्षमता प्रभावित होती है जो रक्त में मौजूद व्हाइट सेल्स के उत्पादन को प्रभावित करता है और जो शरीर में इफेक्षण से लड़ने के लिए ज़रूरी होते हैं। किमोथेरेपी की प्रक्रिया के दौरान निरंतर ब्लड टेस्ट के द्वारा इन शरीर में व्हाइट सेल्स की उपयुक्त मात्रा को सुनिश्चित किया जाता है। यदि किसी जांच में इन सेल्स की मात्रा कम पायी जाती है तब या तो अगली कीमो का सेशन रोक दिया जाता है या फिर उसकी डोज़ कम कर दी जाती है।
इसके अलावा किमोथेरेपी का असर शरीर में रक्त की कमी या अनिमिया के रूप में भी देखा जा सकता है। इस स्थिति में शरीर में रक्त की होने वाली अत्यधिक कमी व लाल रक्त कणों को पूरा करने के लिए कभी-कभी मरीज को रक्त भी चढ़ाया जा सकता है। इस दौरान शरीर में लाल रक्त कणों की कमी के कारण आपको चक्कर आना, सांस फूलना जैसी शिकायत भी हो सकती है।
इस समय आप पूरी साफ-सफाई का ध्यान रखना, किसी भी इन्फेक्शन से पीढ़ित व्याक्ति के संपर्क में आने से बचावव नियमित समय पर भोजन लेना आदि जैसी बहुत जरूरी सावधानियाँ बरत सकती हैं जिससे आप किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से बच सकें।
● बालों का झड़ना:
कीमोथेरेपी के कारण अकसर बाल या तो हमेशा के लिए झड़ जाते हैं या फिर बहुत पतले हो जाते हैं। ऐसा इस इलाज में हेल्दी सेल्स को नुकसान होने के कारण होता है।
आप ऐसे में अपने लिए एक अच्छी विग या स्कार्फ का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस समय आपको सूरज की गर्मी और ठंड से होने वाले नुकसान से विशेषकर अपने को बचा कर रखने की जरूरत है।
दरअसल यह स्थिति कैंसर का मरीज होने की स्थायी पहचान बन जाती है और आपको हमेशा कीमोथेरेपी किए जाने की याद दिलाती रहती है
• स्किन पर प्रभाव
कभी-कभी किमोथेरेपी की दवाइयों के असर के कारण स्किन बहुत नाज़ुक हो जाती है और इस कारण उसमें एलर्जी या रेशेस भी हो सकते हैं। नाखून भी अजीब से दिखाई देने लगते हैं। इनके रंग और बनावट पर भी असर हो सकता है। इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपनी स्किन और नाखूनों को अच्छी तरह से मॉस्चराइज करके रखें।
• छाती या ब्रेस्ट में दर्द होना
रेडियोथेरेपी के बाद अक्सर छाती या ब्रेस्ट में दर्द की लहर, तेज़ दर्द या ब्रेस्ट के आसपास बहुत तेज़ दर्द हो सकता है। हालांकि यह बहुत हल्का ही होता है, लेकिन कभी-कभी इलाज के बाद भी यह काफी सालों तक बना रह सकता है।
• लिंफोएडिमा
शरीर में लिंफ फ़्ल्युइड बनने के कारण बाँहों और छाती का एरिया थोड़ा सूज सकता है। ऐसा आमतौर पर उस समय होता है जब शरीर का लासिका तंत्र खासतौर से छाती के चारों ओर का ऐरिया इलाज के दौरान प्रभावित हो जाता है।
लिंफोएडिमा की स्थिति काफी लंबे समय तक बनी रह सकने वाली परेशानी होती है और कुछ मामलों में तो यह आसानी से जाती भी नहीं है, इसलिए इसके इलाज को बहुत धैर्य से करना चाहिए।
• पाल्मर प्लांटर सिंड्रोम (अक्सर इसे हाथ-पैर सिंड्रोम भी कहा जाता है)
इसके सामान्य निशानियाँ हाथ पैरों में जलन, लाल हो जाना, छाले, सूज जाना, खुजली या रेश हो जाना हो सकते हैं। गंभीर निशानियों के रूप में नाखूनों का जड़ से अलग हो जाना, अल्सर, चलने में दर्द और तकलीफ होना को माना जाता है।
असल में यह निशानियाँ दी जाने वाली दवा की डोज़ पर निर्भर करता है। इस बैचेनी और परेशानी को दूर करने के लिए आपको अपने किमोथेरेपिस्ट को उसी समय इन तकलीफ़ों के बारे में बताना होगा, जब ये जैसे ही शुरू होती हैं। इसके लिए आपको उनसे कोई इलाज की दवा मिल सकती है।
• पेरीफेरीयल न्यूरोपैथी
पेरीफेरीयल न्यूरोपैथी वह स्थिति होती है जब शरीर की नसें मुख्य रूप से हाथ और पैरों की उँगलियों में खराबी आनी शुरू हो जाती है। क्योंकि यह शरीर में लंबी नसें होती हैं इसलिए इन्हें नुकसान पहुँचने की संभावना अधिक होती है। ऐसा प्रायः ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में ही होता है।
इसके मुख्य निशानियाँ दर्द के साथ, सेंसेविटी लेवल का बढ़ जाना, ऐसे काम जिनमें उँगलियों का तेज़ी से चलना ज़रूरी होता है, उनमें मुश्किल होना, पैरों की उँगलियों में सुन्नपना बढ़ जाना आदि। यदि आपको इनमें से कोई भी परेशानी होती है तब आप तुरंत अपने थेरेपिस्ट को सूचित करें।
अधिकतर यह देखा गया है कि जैसे ही दवा बंद कर दी जाती है यह परेशानियाँ भी अपने आप खत्म हो जाती हैं।
• उल्टी या चक्कर आना
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के समय जब मरीज किमोथेरेपी करवाता है उस समय कुछ लोग उल्टी आना या हल्के चक्कर आने की शिकायत करते हैं। इस शिकायत की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि इलाज में किस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस समय चक्कर आने के लिए डॉक्टर आपको कोई दवा देकर आपको आराम भी देने की कोशिश कर सकते हैं। यदि आपको गंभीर रूप से डायरिया हो गया है तब शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, इसलिए अपने थेरेपिस्ट को तुरंत सूचित करें।
उल्टी और चक्कर की शिकायत आपको किमोथेरेपी के एकदम बाद या फिर इलाज पूरा होने के कुछ दिनों बाद भी हो सकती है। इस समय आपको अपने शरीर में पानी की कमी न होने पाये, इसका पूरा प्रयास करना होगा। इस समय आपको पाचन संबंधी दूसरी परेशानियाँ जैसे छाती में जलन आदि भी हो सकती हैं।
• मुंह और दांतों में शिकायत
किमोथेरेपी के कारण मुंह में विभिन्न प्रकार की परेशानियाँ जैसे मुंह में दर्द या छाले होना, मसूड़ों में से खून आना या फिर मुंह सूखना आदि हो सकते हैं। रोज़ लिए जाने वाले खाने के स्वाद में भी परिवर्तन महसूस हो सकता है। लेकिन यह सब शिकायतें तभी तक होती हैं जब तक यह इलाज चलता है और किमोथेरेपी के बंद होते ही यह सारी शिकायतें भी अपने आप बंद हो जाती हैं।
• कीमो ब्रेन या कीमो फॉग
किमोथेरेपी के कारण किसी भी बात पर ध्यान लगाने में कठिनाई आ सकती है। इसे कोग्निटिव इंपेयरमेंट भी कहा जाता है। इसके कारण व्यक्ति को चीजों और बातों को याद रखना मुश्किल होता है और वह जिंदगी में भी अव्यवस्थित सा हो जाता है।
इस परिस्थिति से निपटने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपने पास हमेशा एक डायरी रखें जिसमें वो सब कुछ लिखें जो आपको आगे याद रखना है। अपनी सारी दवाइयों को समय पर लें जिससे आप कोई भी डोज़ लेना न भूलें। आप अपनी उत्तेजना को शांत रखने के लिए भी दवाइयाँ ले सकती हैं और इसके साथ ही अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए पजल्स और वर्ड गेम्स में बिज़ी रहें। यह सभी गतिविधियां आपको कीमो फॉग से उबरने में मदद करेंगी।
• मैनॊपॉज. के लक्षण
किमोथेरेपी और होर्मोन थेरेपी, महिला के शरीर में ओवरी पर प्रभाव डालती है जिनका काम ओस्ट्रोजेन हार्मोन को बनाना होता है। लेकिन इस इलाज के कारण मेंसुरेशनल साइकल पर असर हो सकता है और यह अनियमित हो सकता है। इसके साथ ही हॉट फ्लेश, पसीना आना और गंभीर मूड परिवर्तन के साथ योनि का सूखापन भी महसूस हो सकता है।
इसके साथ ही आपके सेक्स हार्मोन भी प्रभावित हो सकते हैं और आपके गर्भधारण की संभावना पर भी इसका बुरा असर हो सकता है। यदि आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहीं हैं तब इस समय आपको किसी अच्छे फर्टिलिटी क्लीनिक से सलाह करके इसके लिए ठीक दवा भी लेनी चाहिए।
• रक्त के थक्के जमना
यदि ब्रेस्ट कैंसर दूसरे लेवल तक पहुँच गया है तब इस बात की बहुत बड़ी संभावना हो सकती है कि शरीर में रक्त के थक्के जमने की परेशानी होने लगे। यदि आप इसके साथ ही इन जगहों पर दर्द, सूजन, लाली या सांस फूलना, खांसी आदि की शिकायत हो तब तुरंत अपने थेरेपिस्ट को इसकी सूचना दें।
रक्त के थक्के जमने की शिकायत को कोयगुलांट्स से ठीक किया जा सकता है जो किमोथेरेपी के इलाज के बाद दिये जाते हैं।
• ब्रेस्ट कैंसर और ओस्टिओप्रोसिस
ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट जैसे किमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी महिला के शरीर में बोन डेंसीटी को कम कर सकती हैं। इससे हड्डियों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में ओस्टियोप्रोसिस की जांच के लिए आपको डेक्सा (ड्यूयल एनर्जी एक्स रे अबोसर्मेटरी) स्केन टेस्ट करवा लेना अच्छा होगा
साइड इफ़ेक्ट्स से कैसे निबटें
• नियमित व्यायाम : इस समय के होने वाली थकान, सूजन और डिप्रेशन को कम करने के लिए हल्के-फुल्के शारीरिक व्यायाम, योगा या छोटी सैर के अलावा घर में रहने वाले पालतू जानवर के साथ समय बिताना अच्छा उपाय हो सकता है।
सर्जरी के बाद मैनुएल थेरेपी के लिए फिजियोथेरेपिस्ट बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। वो अपने सधे हुए हाथों से शरीर के जोड़, मांसपेशियों आदि की तकलीफ तो दूर करने में सहायक हो ही सकते हैं, साथ ही उन परेशानियों जैसे सूजन और दर्द आदि को भी दूर करने में मदद कर सकते हैं जो नियमित काम करने में रुकावट डाल रही हैं। अपने शरीर की गति को बनाए रखने के लिए हल्की-फुलकी स्ट्रेचिंग एक्सर्साइज़ आपको लाभ दे सकती है।
• दवा लेना : पेट संबंधी परेशानियों जैसे गैस बनना, उल्टी होना, दस्त लगना या कब्ज़ होना आदि को दवा की मदद से दूर किया जा सकता है।
• किसी सपोर्ट ग्रुप की सहायता लेना: ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के दौरान होने वाले कुछ साइड इफेक्ट जैसे बालों का झड़ना या माइनोपौज आदि को दवा से ठीक किया जा सकता है। हालांकि इन सबके कारण बहुत अधिक तनाव झेलना पड़ता है। ऐसे में आप क्या महसूस कर रहीं हैं या इस दौरान आपको कैसा लगता है, इस बारे में किसी से बात करना चाहेंगी। इसके लिए आप एक-दो भरोसे के कैंसर सपोर्ट ग्रुप के साथ जुड़कर उनसे अपनी वह यात्रा जिसमें ब्रेस्ट कैंसर का दर्द और इलाज के साइड इफेक्ट कैसे अपने सहे, सबके साथ शेयर करें।
यदि आप निजी रूप में या अकेले ही किसी से मिलना चाहती हैं तब किसी काउन्सलर से मिलें या इसके लिए आप कोग्निटिव बिहेवीर्याल थेरेपी भी ले सकती हैं जो आपके भावनात्मक, मानसिक और मूड परिवर्तन से निपटने का उपाय बता देंगे। अपनी तकलीफ़ों को बता देने और अपनी वर्तमान स्थिति को स्वीकार कर लेने से तनाव से निपटना सरल हो जाता है। यदि आपको किसी बात का बुरा लग रहा है तब अपने परिवार के किसी सदस्य के साथ इसे शेयर करें और उन्हें बताएं कि आप इस स्थिति में थोड़ा आराम करना चाहती हैं। जो आपकी देखभाल कर रहे हैं उन्हें भी आप थोड़ी देर अपने पास बैठने के लिए कह सकती हैं।
लेखिका : प्रत्युशा मजूमदार